राष्ट्र- निर्माण की चुनौतियाँ | कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 1 नोट्स PDF 2025              

कक्षा 12 विषय राजनीति विज्ञान
अध्याय 1 : राष्ट्र- निर्माण की चुनौतियाँ ( नोट्स सत्र 2024 – 2025 )
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  • हमारा प्यारा देश भारत लंबे संघर्ष के बाद 14-15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को आजाद हुआ |
  • इस समय जवाहरलाल नेहरू द्वारा एक भाषण दिया गया जिसे ट्रिस्ट विद डेस्टिनी ( भाग्यवधू से चिर -प्रतीक्षित भेंट ) कहा जाता है |
  • भारत के लिए आजादी वाला दौर भी सामान्य नहीं रहा | भारत को अन्य देशों की तरह सामान्य रूप से आजादी नहीं मिली |




  • आजादी के पश्चात देश को अनेक प्रकार के चुनौतियों का सामना करना पड़ा परंतु इन चुनौतियों में तीन बड़ी चुनौती थी |
  1. एकता कायम करने की चुनौती – पहली और तात्कालिक चुनौती एकता के सूत्र में बंधे एक ऐसे भारत को गढ़ने की थी | जिससे भारतीय समाज के सारे  विविधताओं के लिए जगह हो
  2. लोकतंत्र कायम करने की चुनौती – दूसरी चुनौती लोकतंत्र को कायम करने की थी | जैसे -संविधान में मौलिक अधिकार की गारंटी , हर नागरिक को मताधिकार |
  3. ऐसे विकास की जिससे समूचे समाज का भला हो – तीसरी चुनौती थी ऐसे विकास के जिससे समूचे समाज का भला होता हो न कि कुछ एक तबको  का | जैसे- संविधान में सबके लिए समानता , वंचित तबकों एवं अल्पसंख्यक समुदायों को विशेष सुरक्षा |
  • 14-15 अगस्त 1947 को एक नहीं बल्कि 2 राष्ट्र भारत और पाकिस्तान अस्तित्व में आए |
  • मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने द्विराष्ट्र सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए कहा भारत किसी एक धर्म वाला देश नहीं है बल्कि हिंदू और मुसलमान नाम के दो धर्मो वाला देश है | द्विराष्ट्र  सिद्धांत के ही तहत मुस्लिम धर्म के आधार पर देश का विभाजन कर पाकिस्तान देश को बनाया गया |
  • विभाजन के द्वारा पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान का निर्माण हुआ क्योंकि विभाजन के समय दो ऐसे क्षेत्र थे जहां पर मुस्लिम आबादी ज्यादा थी |
  • विभाजन के बाद अत्याधिक हिंसा हुई बहुत सारे लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी तथा  जान एवं माल दोनों का बड़े स्तर पर नुकसान हुआ |
  • पाकिस्तान से आए हिंदुओं ने भारत में शरण ली और भारत से गए मुस्लिमों ने पाकिस्तान में शरण ली इस तरह से दोनों देशों में शरणार्थियों की समस्या पैदा हो गई |
  • अनुमान लगाया जाता है कि विभाजन के कारण 80 लाख लोगों को अपना घर बार छोड़कर सीमा पार करना पड़ा | विभाजन की हिंसा में तकरीबन 5 से 10 लाख  लोगों ने अपनी जान गवाई |




  • ब्रिटिश इंडिया दो हिस्से में था | एक हिस्से में ब्रिटिश प्रभुत्व वाले भारतीय प्रांत हैं तो दूसरे हिस्से में देशी रजवाड़े |
  • आजादी के समय अंग्रेजों ने ऐलान किया कि भारत के साथ ही सभी देशी रजवाड़े भी ब्रिटिश राज्य से आजाद हो जाएंगे |
  • सभी रजवाड़ों को अधिकार दिया गया कि वह या तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते हैं या अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रख सकते हैं |
  • यह फैसला लेने का अधिकार रजवाड़ों के राजाओं को दिया गया | फैसला रजवाड़ाओ के राजाओं के हाथ में देने के कारण ही सारी समस्या शुरू हुई |
  • विभाजन से हुए विध्वंस के बाद मौजूद सबसे बड़ी समस्या थी सभी 565 देसी रजवाड़ों का भारत में विलय कर के अखंड भारत का निर्माण कराना |
  • इस प्रक्रिया में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
  • रजवाड़ों के विलय के लिए एक सहमति पत्र का निर्माण किया गया | इस सहमति पत्र को ही इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन कहते हैं | इस पर हस्ताक्षर करने का मतलब था कि रजवाड़े भारत में शामिल होने के लिए तैयार हैं |
  • सभी रजवाड़ों को भारत में शामिल करने का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को जाता है |
  • उनके इस योगदानो की वजह से महात्मा गांधी द्वारा उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी गई | सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले गृह मंत्री भी बने |
  • ज्यादातर रजवाड़े भारत में शामिल होने के लिए राजी हो गए | लेकिन चार ऐसे देसी रजवाड़े थे जिनका विलय अन्य की तुलना में थोड़ा कठिन साबित हुआ | ये  चार देशी रजवाड़े हैं – जूनागढ़ , हैदराबाद , जम्मू कश्मीर  और मणिपुर |
  • आजादी के समय हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासतों में से एक था |
  • इसके शासक को निजाम कहा जाता था |
  • निजाम उस समय दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक था |
  • निजाम चाहता था कि हैदराबाद भारत से अलग रहे और आजाद रियासत बने पर हैदराबाद में रहने वाले लोग उसके शासन से खुश नहीं थे |
  • जिस वजह से हैदराबाद के लोगों ने निजाम के खिलाफ आंदोलन करने शुरू किए |
  • यह सब देख कर एवं इस विद्रोह को रोकने के लिए निजाम ने अपने रजाकारों को भेजा |
  • रजाकार निजाम के सैनिकों को कहा जाता था | रजाकारों ने लूटपाट , हत्या और बलात्कार किए |
  • लोगों पर हो रहे अत्याचार को देखते हुए सितंबर 1948 में भारतीय सेना ने हैदराबाद पर आक्रमण  किया | ताकि सामान्य जनता को रजाकारों से बचाया जा सके |
  • यह युद्ध काफी दिनों तक चला और अंत में निजाम को हार माननी पड़ी और इस तरह हैदराबाद भारत का अंग बन गया |




  • मणिपुर भारत के पूर्व में स्थित एक रियासत था |
  • मणिपुर के राजा थे बोधचंद्र सिंह |
  • लोगों के दबाव के कारण राजा को जून 1948 में चुनाव कराने पड़े और इस तरह से मणिपुर में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई |
  • भारत में सबसे पहले मणिपुर में ही सार्वभौमिक व्यस्त मताधिकार को अपनाकर चुनाव हुए |
  • भारत में पूर्ण रूप से शामिल होने की बात को लेकर मणिपुर की विधानसभा में बहुत मतभेद थे |
  • कांग्रेस चाहती थी कि मणिपुर पूरी तरह से भारत में शामिल हो जाए पर बाकी पार्टियां ऐसा नहीं चाहती थी |
  • अगर विधानसभा में भारत से अलग रहने का प्रस्ताव पास हो जाता तो मनीपुर को भारत में शामिल  करना असंभव हो जाता |
  • इसी को देखते हुए भारतीय सरकार ने मणिपुर के राजा पर दबाव बनाया और उनसे पूर्ण विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए इस तरह मणिपुर भारत का अंग बन गया |
  • मणिपुर के लोगों में यह सही नहीं लगा और वहां की जनता काफी लंबे समय तक इस फैसले से नाराज रहे |
  • रियासतों के विलय के बाद मौजूद सबसे बड़ी समस्या थी कि किस तरह से देश में राज्यों की  सीमाओं को निर्धारित किया जाए |
  • ऐसा करना इसलिए जरूरी था ताकि एक सामान संस्कृति और भाषा वाले लोग एक राज्य में रह सके | ब्रिटिश शासन काल में राज्यों की सीमाओं पर खास ध्यान नहीं दिया गया |
  • जब भी कोई नया क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन आ जाता था तो या तो उसे नया राज्य बना दिया जाता था या फिर पुराने राज्यों में शामिल कर दिया जाता था | इसी वजह से राज्यों की सीमाओं का पुनर्गठन किया जाना जरूरी था |
  • भारत के नेताओं को यह डर था कि अगर भाषा के आधार पर राज्य बनाए गए तो इससे अव्यवस्था फैल सकती है और देश के टूटने का खतरा पैदा हो सकता है |
  • इसी के साथ ऐसा करने से सरकार का ध्यान अन्य मुख्य मुद्दों से भटक सकता है |
  • पर देश में लोगों के विचार अलग थे |
  • देश में राज्यों के पुनर्गठन के मुद्दे को लेकर आंदोलन शुरू हो गए |
  • सबसे बड़ा आंदोलन हुआ मद्रास में जहां तेलुगु भाषा बोलने वाले लोगों ने मद्रास से अलग एक तेलुगू भाषी राज्य आंध्र प्रदेश बनाने की मांग की |
  • मद्रास में उपस्थित लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां और नेता तेलुगू भाषी राज्य बनाने के पक्ष में थे |
  • तेलुगु भाषी राज्य बनाने को लेकर आंध्र आंदोलन भी चलाए गए | इस आंदोलन के तहत पोट्टी  श्रीरामुलु अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए | 56 दिनों की भूख हड़ताल के बाद उनकी मृत्यु हो गई |
  • इससे बड़ी  अव्यवस्था फैली और आंध्र प्रदेश में जगह-जगह हिंसक घटनाएं हुई |
  • पुलिस फायरिंग में अनेक लोग घायल हुए या मारे गए | मद्रास में अनेक विधायकों ने विरोध जताते हुए अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया |
  • आखिरकार 1952 के दिसंबर में प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश  नाम से अलग राज्य बनाने की घोषणा की |
  • अंत में 1953 में  तेलुगु भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश राज्य बना |




  • देश में बढ़ती हुई अव्यवस्था को देखते हुए सरकार ने राज्यों के पुनर्गठन के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग का 1953 में निर्माण किया |
  • इस आयोग का कार्य राज्य पुनर्गठन की प्रक्रिया पर विचार करना था |
  • आयोग ने भी माना कि राज्यों का पुनर्गठन वहां बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए |
  • इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ |
  • इस अधिनियम के आधार पर देश में 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाएं गए | बम्बई और पंजाब को द्विभाषी राज्य बनाए गए इसलिए वहां विरोधी आंदोलन भी हुए |




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